गेंहू के ज्वारे के उपयोग

गेहूँ के ज्वारे के उपयोग



  •  गेहूँ के ज्वारे खून को साफ़ करता जैं और बल्ड की कमी और Platelets     को पूरा करता है।

  •  गेहूँ के ज्वारे को हरा रक्त भी कहते है।

  •  गेहूँ के ज्वारे का रस, ब्लड और दिल के लिये उमदा श्रोत है।

  • अपच के दौरान आँतों को साफ़ रखने के लिये गेहूँ के ज्वारे का रस बहुत  प्रभावकारी है।

  • गेहूँ के ज्वारे का रस कीटाणु नाशक है।

  • गेहूँ के ज्वारे का रस बैंक्टीरिया से मुक्ति दिलाता है।

  • गेहूँ के ज्वारे विटामिन ए और विटामिन सी का सबसे समृद्ध जरिया है।

  • गेहूँ के ज्वारे का रस ग्येनेडिन को, जो कि खून, बहती चोट और जलने से पैदा घाव के रिसाव से विषाक्त पदार्थ छोड्ता है और जिसके कारण मासपेशी की थकान, दुर्गन्ध, सिर दर्द और पेट दर्द भी हो जाता है, प्रभावहीन कर देता है।

  • गेहूँ के ज्वारे दवाओं के मुकाबले में, अपनी रक्त शोधन शक्ति के -द्वारा सफ़ेद रक्त कोशिकाओं के निर्माण में उत्तम है।

  • यह वजन नियन्त्रण करता है व पसीने की दुर्गन्ध समाप्त करता है।

  • यह मधुमेह में बहुत उपयोगी है।

  • यह ब्लड में शुगर को नियंत्रित करता है।

  • गेहूँ के ज्वारे का रस शरीर को ऑकसीज़न उपलब्ध कराता है।

  • यह कैंसर कोशिकाओं का नाश करता है।

  • यह स्वस्थ कोशिकाओं की श्वसन क्रिया को बढ़ाता है।

  • कृषि अनुसंधानकर्ता फ़ाईफ़र के अनुसार सुखा कर रखे गये, गेहूँ के पौधें मे प्रोटीन की मात्रा 47.4% होती है।

  • गेहूँ के पौधें मे गोमांस से तीन गुना अधिक प्रोटीन होता है।

  • गेहूँ के ज्वारे का रस डायबिटीज़ के लिये और बुढ़ापे के लिये बहुत अच्छा है।

  • इसका लगातार सेवन करने से बिमारियाँ दूर भाग जाती है।

  • गेहूँ के ज्वारे का रस सेक्स हार्मोन्स पर महत्वपूर्ण असर करता है।

  • दाँत मे दर्द या गले मे खराश हो तो गेहूँ के ज्वारे के रस के गरारें करे।

  • गेहूँ के ज्वारे का रस उच्च रक्तचाप को कम करता है।

  • गेहूँ के ज्वारे के रस से शरीर के विष घटते है।

  • गेहूँ के ज्वारे के रस से रक्त मे लोहा तत्व प्राप्त होकर रक्त संचालन बढ़ता है।

  • चर्म रोग, स्किन सम्स्या व किसी भी प्रकार की एलर्जी में, इसके उपयोग से अच्छा लाभ मिलता है।

  • गेहूँ के ज्वारे का रस बिमारी से लड्ने वाले कीटाणुओं की संख्या को बढ़ाता है।

  • शरीर में विषाक्त धातुओं, जैसे- सीसा, कैडमियम, पारा, एल्यूमीनियम और अत्याधिक ताँबा (कॉपर) की मात्रा को थोड़ा सा गेहूँ के ज्वारे का रस लेकर सफ़लता पूर्वक कम किया जा सकता है। रस की मात्रा में धीरे-धीरे वृद्धि की जानी चाहिए।

  • गेहूँ के ज्वारे लेइट्राइल का उम्दा स्त्रोत है जो कि कैंसर कोशिकाओं को छांटकर नष्ट करता है व सामान्य कोशिकाओं पर उसका असर नगण्य होता है।

  • यह कैंसर की रोकथाम भी करता है।

  • गेहूँ के ज्वारे का रस बालों को सफ़ेद होने से रोकता है।

  • इसका रस बालों पर मलने से बालों मे पैंदा होने वाली रूसी से मुक्ति मिलती है।

  • एसिड युक्त गैसौं के सांस मे जाने के कारण फ़ेफ़ड़ों में उत्पन्न हुए स्कार्स (गाठों) को गेहूँ के ज्वारे का रस गला सकता है।

  • इसमे पाया जाने वाला क्लोरोफ़िल हीमोग्लोबिन उत्पादन बढ़ाता है और कार्बन-मोनोऑक्साइड के प्रभाव को कम करता है।





उपयोगी बाते


  • गेहूँ के ज्वारे का रस दूध, दही और मांस से अनेक गुना गुणकारी है। दूध और मांस में भी जो नही है, उससे अधिक इस ज्वारे के रस मे हैं। इसके बावजूद यह दूध, दही और मांस से बहुत सस्ता है।
  • आरोग्यता के लिये भांति-भांति की दवाइयों में पानी की तरह पैसे बहाना बंद करे। इस सस्ते, सुलभ तथापि अति-मूल्यवान प्राकृतिक अमृत का सेवन करे और अपने तथा कुटुम्ब के स्वास्थय को बनाये रखकर सुखी रहें।
  • गेहूँ के ज्वारे, ग्वारपाठा (एलोवेरा), तुलसी, नीम, ग्लोय, बेलपत्री, शीशम, पपीते के पत्ते, पत्थरचट्टा आदि का रस मिलता हैं, जो अनेक बिमारी पर काम करता है -

    ब्लड Platelets, केंसर ,ब्लड प्रेशर, ब्लड की कमी,  ब्लड केंसर, डायबिटिज, शरीर की कमजोरी, जोड़ो का दर्द, स्किन एलर्जी, ह्रदय रोग, पीलिया, मोटापा, पेट का दुखना, लकवा, दमा, गैंस की समस्या, विटामिन ए , बी की कमी को पूरा करता, आँखों की दुर्बलता, केशों का झड़ना, जली त्वचा, चोट लगे घाव, कब्ज़, आँतों का रोग, मूत्राशय की पथरी, किडनी की पथरी, श्वेतप्रदर, प्रमेह, धातुरोग एवं मासिक धर्म सम्बन्धी अतिरक्त स्त्राव में अथवा स्त्रियों के श्वेतप्रदर में लाभ होता हैं।



  • कोई भी बिमारी हो, पहले 21 दिन इस अमृत का सेवन करे। अगर लाभ होता है तो पीते रहे, नही तो बन्द कर दें।
  • इसके सेवन से अगर लाभ नहीं होगा तो नुकसान भी नहीं होगा।
  • डायबिटीज़ के रोगियों के लिये विशेष 40 दिन का कोर्स, जिसमे डायबिटीज़ जड़ से खत्म या नोर्मल हो जायेगी।
  • यदि स्वस्थ व्यक्ति गेहूँ के ज्वारे का सेवन करता है तो वह कभी बिमार नही होगा।
  • कैंसर चिकित्सा में विशेष रूप से रोगी की स्थिति व प्रकृति के अनुसार दवा की मात्रा कम या ज्यादा की जा सकती है। यदि रोगी कीमोथैरेपी या रेडीयेशन चिकित्सा ले रहा है तो उस स्थिति में यह औषधि उन चिकित्साओं के दुष्प्रभावों को कम करती है, साथ ही रोग को बढ़ने से भी रोकती है।