How To Make (विधी)

गेहूँ के ज्वारे उगाने की विधि :
मिट्टी के नये खप्पर, कुंडे या सकोरे लें। उनमें खाद मिली मिट्टी लें। रासायनिक खाद का उपयोग बिलकुल न करें। पहले दिन कुंडे की सारी मिट्टी ढँक जाये इतने गेहूँ बोयें। पानी डालकर कुंडों को छाया में रखें। सूर्य की धूप कुंडों को अधिक या सीधी न लग पाये, इसका ध्यान न रखें।
इसी प्रकार दूसरे दिन दूसरे कुंडे या मिट्टी के खप्पर में गेहूँ बोयें और प्रतिदिन एक बढ़ाते हुए नौवें दिन नौवें कुंडे में गेहूँ बोयें। सभी कुंडों में प्रतिदिन पानी दें। नौवें दिन पहले कुंडे में उगे गेहूँ काटकर उपयोग में लें। खाली हो चुके कुंडे में फ़िर से गेहूँ उगा दें। इसी प्रकार दूसरे दिन दूसरा, तीसरे दिन तीसरा करते हुए चक्र चलाते जायें। इस प्रक्रिया में भूलकर भी प्लास्टिक के बर्तनों का उपयोग कदापि न करें।

प्रत्येक कुटुम्ब अपने लिये सदैव के उपयोगार्थ 10, 20, 30 अथवा इससे भी अधिक कुंडे रख सकता है। प्रतिदिन व्यक्ति के उपयोग अनुसार एक, दो या अधिक कुंडे में गेहूँ बोते रहें। मध्याह्र के सूर्य की सख्त धूप न लगे परन्तु प्रातः अथवा सायंकाल का मंद ताप लगे, ऐसे स्थान में कुंडों को रखें।

सामान्यतया आठ-दस दिन में गेहूँ के ज्वारे पाँच से सात इंच तक ऊँचे हो जायेंगे। ऐसे ज्वारों में अधिक से अधिक गुण होते हैं। ज्यों-ज्यों ज्वारे सात इंच से अधिक बड़े होते जायेंगे त्यों-त्यों उनके गुण कम होते जायेंगे। अतः उनका पूरा-पूरा लाभ लेने के लिये सात इंच से अधिक बड़े होते ही उनका उपयोग कर लेना चाहिए।

ज्वारों को मिट्टी के धरातल से कैंची द्वारा काट लें अथवा उन्हें समूल खींचकर उपयोग में ले सकते हैं। खाली हो चुके कुंडे में फ़िर से गेहूँ बो दिजिए। इस प्रकार प्रत्येक दिन गेहूँ बोना चालू रखें।